कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, सब कुछ मिल जाता है लेकिन माँ नहीं मिलती, माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते, खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती |
लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैं, यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते हैं ।